Dharmshala History - Vaishnav Dharmsala Pushkar
वैष्णव धर्मशाला पुष्कर
अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण (च.स.) भवन एवं शैक्षणिक ट्रस्ट पुष्कर
वैष्णव धर्मशाला
वैष्णव धर्मशाला पुष्कर का भागीरथी प्रयत्न
क्रमवार इतिहास
जग में जो सत कर्म करेगा, जग उसके गुण गायेगा
जो गंगा धरती पर लायेगा, वो भागीरथ कहलायेगा
संक्षिप्त परिचय
भारत वर्ष के कतिपय प्रमुख तीर्थ स्थलों पर अन्य विकसित समाजों की भांति वैष्णव समाज की धर्मशालाएं एवं समाज भवन विद्यमान हैं । मगर तीर्थों में प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तीर्थों के गुरू ब्रह्माजी की तपोभूमि श्रद्धा एवं आस्था के लोकप्रिय साम्प्रदायिक सद्भाव की वंदनीय धरा पुष्करराज में वैष्णव समाज (च.स.) की कोई धर्मशाला / समाजभवन नहीं होने से वर्षो से समाज बन्धु वर्ष प्रर्यन्त चलने वाले धार्मिक उत्सवों / पर्वों / त्यौहारों के समय आवास हेतु इधर उधर परेशान होते रहें हैं ।
समाज के प्रबुद्धजनों, समाज सेवियों के मन में समाज की धर्मशाला की कमी लम्बे समय से खलक रही थी । समय -समय पर अजमेर पुष्कर तथा जिले के विभिन्न तहसीलों में जब भी कोई समाज की बैठक, सम्मेलन, धार्मिक उत्सव आदि आयोजित होते इनमें पुष्कर धर्मशाला की आवश्यकता पर अवश्य चर्चा होती ।
विगत 2-3 दशकों में पुष्कर धार्मिक नगरी में वैष्णव समाज की निजी धर्मशाला निर्माण हेतु समय-समय विचार विमर्श हुए । सर्व प्रथम वर्ष 1984 में वैष्णव छात्रावास सुभाष नगर अजमेर में श्री नाथूदास जी वैष्णव पीलवा (नागौर) की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित हुई जिसमें ब्रह्मानगरी पुष्कर राज में वैष्णव ब्राह्मण (च.स.) की धर्मशाला बनाने का दृढ़ संकल्प लेकर इसे यथा संभव जनसहयोग से पूर्ण करने का सर्व सम्मत निर्णय लिया गया । एक समिति का गठन भी किया गया जिसमें श्री गुलाब दास जी वैष्णव माखुपुरा अजमेर को कोषाध्यक्ष, एवं इनके सहयोगार्थ श्री रामनिवास जी वैष्णव अध्यक्ष महासभा अजमेर, श्री गणपत लाल जी अध्यक्ष छात्रावास अजमेर, श्री मौजीराम जी शर्मा, श्री धरणी धरजी, श्री जी एल दिवाकर, श्री नन्दकिशोर निम्बावत, श्री शंकरनारायण शर्मा आदि समाज बन्धुओं को सदस्य मनोनीत किया गया ।
सामुहिक विवाह सम्मेलन पुष्कर (14.02.1994) में आयोजित समाज की आम सभा जो सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री एन.एन. वैष्णव की अध्यक्षता में एवं मुख्य अतिथि श्री रोहिताश्व कुमार शर्मा तत्कालीन यातायात मन्त्री राजस्थान सरकार, श्री रामचन्द्र जी वैष्णव भयन्दर मुम्बई सहित राजस्थान व अन्य प्रान्तों से पधारे आमन्त्रित अतिथियों की मौजूदगी में पुष्कर में वैष्णव ब्राह्मण (च.स.) की धर्मशाला बनाने का पुरजोर समर्थन कर महासभा अजमेर, मन्दिर समिति पुष्कर, छात्रावास अजमेर तथा जिले में गठित समस्त तहसील स्तरीय सभा समितियों के सहयोग से जमीन लेने हेतु ठोस निर्णय लिया एवं राजस्थान तथा इससे बाहर के राज्यों में निवास कर रहे वैष्णव समाज के लोगों में इस सोच को पहुंचाया गया । राजस्थान के व्यवसायी जो अन्य प्रान्तों में व्यवसायरत थे उनसे भी अनुरोध किया गया ।
1994 के बाद जिले में सामूहिक विवाह सम्मेलन अप्रेल 2001 में एच.एम.टी. परिसर अजमेर में आयोजित हुआ जिसमें अनेक समाज के अनेक गणमान्य बन्धु पधारे थे । पुष्कर धर्मशाला हेतु ठोस निर्णयात्मक अग्रिम कदम रहा ।
सम्मेलन के उपरान्त एक बैठक सम्पन्न हुई जिसमें अब तक पुष्कर में समाज की धर्मशाला नहीं बनने पर चिंता व्यक्त की गयी । सर्वश्री शंकर नारायण जी शर्मा, रामनिवास जी अध्यक्ष महासभा, हरनारायण वैष्णव, शिवरतन जी, शिवदत्त जी चित्रानागा, पुसालाल जी, रतन जी बैरागी अजमेर रामस्वरूप जी वैष्णव, धरणी धरजी अग्रावत सराधना सम्पादक वैष्णव माण्र्तड, गणपत लाल जी तबीली, मदन जी पुजारी, बाबूलाल जी अग्रावत किशनगढ़, प्रकाश जी थावला, मिश्रीलाल जी बांसेली, तिलोक जी नोसर, बिरदीचन्द जी केकड़ी, गोपाल जी कादेड़ा आदि समाज के परिजनों ने पुष्कर धर्मशाला बनाने का अपना संकल्प दोहराया । इस बैठक का संचालन इन्जिनियर श्री रामनिवास जी वैष्णव अजमेर ने किया तथा ऐसी भूमिका बांधी कि सभी इस भावी धर्मशाला बाबत् गंभीर विचार में डूब गये तथा इंजि राम निवास वैष्णव ने संकल्प लिया कि जब तक अपनी धर्मशाला नहीं होगी तब तक दिन में एक समय ही भोजन करूंगा । इस मिटिंग में इतना वातारण गंभीर हो गया कि बराते कब विदा हुई सभा सदन में बैठे लोगों को पता नहीं लगा ।
संकल्प
दिनांक 2 अप्रेल 2001
विगत 2-3 दशकों से पुष्कर में वैष्णव समाज की धर्मशाला बनाने हेतु प्रयत्न जारी रहे लेकिन संयोग नही बना । दिनांक 2 अप्रेल 2001 को अजमेर में आयोजित समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में मुख्य अतिथि इन्जि. रामनिवास वैष्णव ने सभा का संचालन करते हुए यह संकल्प लिया कि पुष्कर में अपनी धर्मशाला हेतु जमीन लेकर भवन बने और उद्घाटन हो, तब तक मैं एक समय भोजन करूँगा तथा 51,000/- रूपये अपने परिवार की और से धर्मशाला निर्माण में सहायता की घोषणा की । सभी उपस्थित स्वजनों ने धर्मशाला बनाने हेतु दृढ़ निश्चय किया । उस मीटिंग में श्री धरणीधर जी सराधना, गुलाबदास जी माखुपुरा, जयकिशन जी देवमुरारी अजमेर, मदनलाल जी पटवारी सांगरिया, रामदीन जी शोभावत किशनगढ़, सियाराम जी ब्यावर, बाबूलाल जी सावंतसर, शिवरतन जी वैष्णव अजमेर, महन्त प्रकाश जी थांवला सहित समाज के सैकड़ो बन्धु मौजूद थे ।
तदर्थ समिति का गठन
दिनांक 22 अप्रेल 2001
शुभ घड़ी जब आती है, शुभ कार्य तभी हो जाता है ।
इस शुभ दिन में श्री आत्माराम जी वैष्णव अजमेर की अध्यक्षता में समाज के 24 स्वजनों की उपस्थिति में एक तदर्थ समिति का गठन किया गया जिसका नाम अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण (चर्तु सम्प्रदाय) धर्मशाला समिति, पुष्कर रखा गया और ग्राम पुष्कर में खसरा नम्बर 194 मिन रकबा 7 बीघा 11 बिस्वा किश्म दड़ा मंें से 1 बीघा 12 बिस्वा एवं खसरा नम्बर 174 मिन रकबा 7 बीघा 11 बिस्वा किश्म दड़ा में से 2 बीघा 8 बिस्वा कुल 4 बीघा (303 फुट बाई 230 फुट) जमीन (खातेदारी भूमि) का 3.70 लाख रूपये प्रति बीघा के हिसाब से सौदा किया गया । जमीन खरीदने हेतु 11,000 रूपये की राशि देने वाले 200 ट्रस्टि बनाने का निर्णय लेकर उसी के अनुरूप राशि इकट्ठी की जाने लगी । सर्वप्रथम श्री रामस्वरूप जी सराधना ने 11,000 रूपये की घोषणा कर पहल की ।
ट्रस्ट गठन एवं राशि संग्रहण के प्रयत्न
दिनांक 19 अगस्त 2001
दिनांक 19 अगस्त 2001 की मीटिंग में श्री शंकरलाल शर्मा पार्षद, अजमेर द्वारा ट्रस्ट का प्रस्ताव रखा गया एवं श्री आत्माराम जी को ट्रस्ट के गठन का प्रारूप तैयार कर प्रस्तुत करने का भार सौपा गया लेकिन वह अपेक्षित रहा ।
दिनांक 5 अक्टूबर 2001
राजस्थान सहित मुम्बई, हैदराबाद, बुहरानपुर क्षेत्र से 11,000/- रूपये के ट्रस्टी बने । इस दिन प्राप्त राशि से समाज हेतु अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण (चर्तु सम्प्रदाय) धर्मशाला समिति, पुष्कर जरिये अध्यक्ष श्री आत्माराम वैष्णव पुत्र स्व. श्री खेमदास जी हरिव्यासी निवासी अजमेर, सचिव श्री रामस्वरूप वैष्णव पुत्र स्व. श्री रामेश्वर प्रसाद अग्रावत निवासी सराधना एवं श्री गोविन्दराम वैष्णव पुत्र स्व. श्री बद्रीप्रसाद श्यामदामोदरी निवासी पुष्कर के नाम से ग्राम पुष्कर में खसरा नम्बर 194 मिन रकबा 7 बीघा 11 बिस्वा किश्म दड़ा मंें से 1 बीघा 12 बिस्वा एवं खसरा नम्बर 174 मिन रकबा 7 बीघा 11 बिस्वा किश्म दड़ा में से 2 बीघा 8 बिस्वा कुल 4 बीघा जमीन श्रीमती मालती देवी पारीक पत्नी स्व. श्री सूरज नारायण जी पारीक निवासी पुष्कर जिला अजमेर हाल निवासी रवि माल, ठंडा महादेव के सामने, शास्त्री नगर, जयुपर से जरिये रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के रूपये 14,80,000/- अक्षरे रूपये चैदह लाख अस्सी हजार में क्रय कर उसका पंजीयन उप पंजीयक पुष्कर के यहां करवाया गया जो विक्रय पत्र उप पंजीयक पुष्कर के कार्यालय में दिनांक 10.10.2001 को पुस्तक संख्या प्रथम जिल्द संख्या प्रथम क्रम संख्या 333/2001 पृष्ठ संख्या 267-268 पर पंजीबद्ध किया गया । इस प्रकार यह शुभ दिन वैष्णव समाज के इतिहास में स्वर्णीम अक्षरों से लिखा गया ।
दिनांक 2 जुलाई 2002
सिविल इन्जि. रामनिवास वैष्णव मेड़ता (अजमेर) द्वारा प्रस्तावति नक्शा बनाकर समाज की मासिक पत्रिकाओं के माध्यम से राष्ट्र स्तर पर सहमति प्राप्त की गई । उसी के अनुरूप धर्मशाला भवन बनकर 15 मई 2011 को उसका उद्घाटन किया गया ।
दिनांक 6 अक्टूबर 2003 गलत नाम से समिति का रजिस्टेªशन
अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण (चर्तु सम्प्रदाय) धर्मशाला समिति, पुष्कर के नाम से धर्मशाला हेतु जमीन खरीदने के बाद इस नाम से समिति का रजिस्ट्रार संस्थाएं अजमेर के यहां पंजीयन करवाने का निर्णय लिया गया था लेकिन इस नाम से समिति का पंजीयन ना करवा कर रजिस्ट्रार संस्थाएंे, अजमेर के यहां चतुर्सम्प्रदाय वैष्णव ब्राह्मण (बावन गौत्र) धर्मशाला एवं विकास समिति पुष्कर के नाम से रजिस्ट्रेशन करवा दिया गया जिसके रजिस्टेªशन क्रमांक 158/2003-04 है, जिसमें कार्यक्षेत्र मात्र अजमेर जिला ही था । जिसके कारण धर्मशाला निर्माण हेतु अजमेर जिले के बाहर से राशि संग्रहित करने में कठिनाई होने लगी ।
दिनांक 31 जनवरी 2004
इन्जिनियर श्री रामनिवास वैष्णव की देखरेख में धर्मशाला हेतु खरीदी गई जमीन की चार दीवारी के निर्माण का कार्य शुभारम्भ किया गया ।
दिनांक 11सितम्बर 2005
सेवाड़ी (पाली) में अमृतोत्सव समारोह में श्री जयकिशन देवमुरारी, श्री गुलाबदास जी माखुपुरा, इन्जि. रामनिवास वैष्णव, श्री आत्माराम व श्री शिवदत्त वैष्णव अजमेर से गये तथा माननीय एन.एन. वैष्णव सा व जयन्ती भाई से विनती की कि हम पंाच वर्ष में धर्मशाला हेतु कुछ नहीं कर सके अब आप राष्ट्रीय स्तर पर इसे पूर्ण करावें । एन.एन. सा ने कहा कि जयन्ती भाई को अध्यक्ष बनालों आपका काम हो जायेगा । इसी कारण इस दिन 11 सितम्बर 2005 को अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पुष्कर मिटिंग में ऐजेन्डा के अनुसार श्री एन.एन. वैष्णव के संरक्षण व श्री जयन्ती भाई बी. वैष्णव की अध्यक्षता में धर्मशाला समिति की कार्यकारिणी का गठन किया गया एवं धर्मशाला समिति का मूल नाम अखिल भारतीय वैष्णव (चर्तु सम्प्रदाय) धर्मशाला समिति पुष्कर ही रखा जाने का निर्णय लिया गया और उसी अवसर पर श्री जयन्ती भाई वैष्णव ने 11,11,111/- रूपये की घोषणा के साथ-साथ 17 अन्य बन्धुओं से कमरों की घोषणाएं भी हुई । दुःख की बात यह रही कि घोषणाकर्ता में से कुल 8 व्यक्तिओं ने जिन्होंने 5 डीलक्स रूम व 3 साधारण रूम की घोषणा की थी, उन्होंने आज तक निर्माण हेतु कोई राशि घोषणा के अनुसार अदा नहीं की ।
दिनांक 4 मार्च 2006 - नगर पालिका पुष्कर से भूमि पट्टा विलेख प्राप्त
समिति के आवेदन पर नगर पालिका पुष्कर ने आवश्यक कार्यवाही कर धर्मशाला हेतु खरीद की गई भूमि का रूपान्तरण कर शहरी जमाबन्दी के आधार पर आवासीय प्रयोजनों के लिए भूमि पट्टा विलेख अध्यक्ष अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण (चर्तु सम्प्रदाय) धर्मशाला समिति, पुष्कर के नाम से भटट्बाय गणेश जी रोड़ पुष्कर जिला अजमेर बनाप 6963.88 वर्ग गज के सम्बन्ध में दिनांक 04.03.2006 को जारी किया गया जिसका पंजीयन उसी दिन दिनांक 04.03.2006 को उप पंजीयक पुष्कर के कार्यालय में पुस्तक संख्या प्रथम जिल्द संख्या प्रथम क्रम संख्या 250/2006 पृष्ठ संख्या 158 पर पंजीबद्ध किया गया ।
दिनांक 1 फरवरी 2007 - भ्ूामि पूजन एवं शिला पूजन
दिनांक 1 फरवरी 2007 को भव्य समारोह के साथ धर्मशाला निर्माण हेतु भूमि पूजन, शिलापूजन व भवन की आधारशिला रखी गई । 15 अग्रस्त 2007 को विधिवत निर्माण कार्य शुरू किया गया । धर्मशला के निर्माण हेतु श्री रामचन्द्र वैष्णव, भयन्दर की अध्यक्षता में एक निर्माण समिति का गठन किया गया तथा सामग्री निर्माण कमेटी द्वारा लेने व लेबर कान्टेªक्ट पर काम कराने का निर्णय हुआ । इसी दिन श्री रामचन्द्र जी भयन्दर द्वारा रूपये 11,11,111/- की घोषणा की गई । सहयोग राशि इकट्ठी करने का कार्य अनवरत जारी रहा लेकिन ट्रस्टी है पर ट्रस्ट क्यों नहीं, की आवाज अन्य प्रान्तों से आती रही फलस्वरूप आशातीत सहायता राशि प्राप्त नहीं हुई ।
दिनांक 2 दिसम्बर 2007
माननीय श्री एन.एन. वैष्णव साहब के निर्देशन में अध्यक्ष महोदय श्री जयन्ती भाई वैष्णव ने ट्रस्ट का प्रारूप दिसम्बर माह के आखिरी सप्ताह में तैयार किया ।
दिनांक 3, 4 एवं 5 मई 2008 - ट्रस्ट के गठन को स्वीकृति
अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ के उज्जैन राष्ट्रीय अधिवेशन में श्री एन.एन. वैष्णव एवं श्री जयन्ती भाई बी. वैष्णव के मध्य नीतिगत निर्णोयों को लेकर विवाद हो जाने से राष्ट्रीय स्तर पर वैष्णव समाज के संगठन का दुसरा दुर्भाग्यशाली विघटन हुआ और वैष्णव समाज के दो दिग्ज शख्सीयतों ने अपनी राहे अलग कर ली परिणाम स्वरूप अखिल भारतीय वैष्णव (च.स.) विकास परिषद एवं ट्रस्ट, मुम्बई के नाम से बने राष्ट्रीय स्तर के गठन ने अपने स्तर से कार्य करते हुए अपना पहला राष्ट्रीय सम्मेलन पुष्कर में पूर्व निर्धारित ऐजन्डा अनुसार घोषित किया जिसमें पुष्कर धर्मशाला समिति के स्थान पर ट्रस्ट बनाने का प्रावधान किया गया जिसके सम्बन्ध में 1- 1.5 माह पहले सारे देश में निमंत्रण पत्र भेजकर सभी समाज बन्धु/ट्रस्टियों/ सदस्यों को पत्र के साथ निमन्त्रण पत्र अनुसार सम्मेलन में पधारने ट्रस्ट बनाने व वांछित सहयोग की अपील की गई लगभग 15 से 20 हजार समाज बन्धुओं/ धर्मशाला कार्यकारिणी के सभी सदस्यों के साथ-साथ दिनांक 4 मई 2008 तक बने 163 ट्रस्टियों में से लगभग 110 ट्रस्टियों / सदस्यों की उपस्थिति में सर्व सम्मति से श्री राचन्द्र जी वैष्णव भयन्दर के संरक्षण में पूर्व संचालित धर्मशाला समिति का विलय अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण (च.स.) भवन एवं शैक्षणिक ट्रस्ट पुष्कर का गठन कर उसमें किया गया ट्रस्ट का गठन किया गया ।
ट्रस्ट का नाम अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण (च.स.) भवन एवं शैक्षणिक ट्रस्ट पुष्कर रखा गया जो भवन के रूप में धर्मशाला व शैक्षणिक के रूप में शिक्षण संस्थान के उद्देश्य की पूर्ति हेतु आवश्यक होने से रखा गया । विकास परिषद एवं ट्रस्ट के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेन में राजस्थान सरकार के चार मिनिस्टर, एम.एल.ए., एम.पी. व नगर पालिका चेयरमेन ने सिरकत की और इस अवसर पर वैष्णव समाज के लिए पुष्कर में शिक्षण संस्थान हेतु जमीन की मांग की गई और आवश्वासन मिला था तथा नगर पालिका स्तर पर कार्यवाही शुरू भी हो गई थी तथा कलेक्टर के माध्यम से राज्य सरकार को प्रस्ताव भी भेजा गया लेकिन ट्रस्ट, धर्मशाला निर्माण व नाम इत्यादि बाबत् समाज की विभिन्न पत्रिकाओं ने गैर जिम्मेदाराना भूमिकाएं अदा कर तथा कुछेक भ्रमित समाज बन्धुओं ने आधारहीन पेम्पलेट वितरित कर सारे वातावरण को दुर्षित कर दिया कुछ पदलोलुप स्वार्थी लोगों ने परोक्ष/ अपरोक्ष रूप से भ्रामक समाचारों को छापवा कर ट्रस्ट को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जिससे आर्थिक सहयोग पर प्रभाव पड़ा व शिक्षा क्षेत्र हेतु चाही गई करोंडो की जमीन (जिसके लिए कार्यवाही चल रही है) से हाथ धोना पड़ ।
दिसम्बर 2008 - ट्रस्ट डीड का पंजीयन एवं आयकर में छूट
दिनंाक 3, 4 एवं 5 मई 2008 को विकास परिषद एवं ट्रस्ट के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन के दौहरान वैष्णव धर्मशाला पुष्कर हेतु अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण (च.स.) भवन एवं शैक्षणिक ट्रस्ट पुष्कर के गठन को आम सभा में प्राप्त स्वीकृति के आधार पर एक न्यास विलेख तैयार करवाया गया तथा उसका दिनांक 29 दिसम्बर 2008 को उप पंजीयन अजमेर के यहां पंजीयन करवाया गया जिस पर नियमानुसार बाद में आयकर विभाग से धारा 80 जी के तहत पंजीयन करवाकर सहयोग राशि पर मार्च, 2011 तक आयकर में छूट ली गई ।
माह मार्च 2009
निर्माण कार्य के चलते देन दारियों 18 लाख रूपयों तक हो गई मासिक पत्रिकाओं के माध्यम से तथा कार्यकारिणी के सदस्यों द्वारा ट्यूर के बावजूद राशि कम प्राप्त हुई । बाध्य होकर इन्जि. वैष्णव ने आत्माराम जी वैष्णव को वकील के नाते उचित फीस देकर अपने शोरूम का ऐसेसमेन्ट कराकर बैंक में गिरवी रखकर ओ.डी. लेकर उधार चुकाई बाद में सहयोग राशि आने पर एडजेस्ट किये । इस बीच कार्य 10 जून से बन्द रहा तथा 17.12.2009 से पुनः चालू हुआ ।
दिनांक 5 अप्रेल 2009 - वार्षिक महोत्सव
दिनांक 5 अप्रेल 2009 को ट्रस्ट के वार्षिक महोत्सव पर 5 तारीख को आधार शिला रखने की खुशी में इसी दिनांक पर ट्रस्ट का वार्षिक उत्सव रखा गया, जिसमें उपस्थिति समाज बन्धुओं में ट्रस्टी बनने एवं कमरों की घोषणा करने की होड़ लग गई । 11,000/-रूपये के ट्रस्टी बनने के साथ-साथ समाजबन्धुओं ने 17 कमरों की घोषणाएं भी की । धर्मशाला के निर्माण के दौरान सावधानी रखते हुए भी वाक्या हो गया दिनांक 10 जून, 2009 को निर्माणाधीन छत का कुछ भाग बल्ली टूटने / खिसकने से गिर गया । समाज के 2 इन्जिनियर उस वक्त छत पर कार्य देख रहे थे । ईश्वर ने रक्षा की इस हादसे में कोई आहत नहीं हुआ । कार्य की अच्छी गुणवता के कारण 25 फुट ऊपर से छत की कोंकरीट का 45 टन मलवा नीचे बने बेसमेन्ट की छत पर गिरने पर भी कोई हल्का सा के्रेक भी नहीं आया मात्र 150 सीमेन्ट कट्टों का (रूपये 25,000/- ) का नुकसान हुआ यह कोंकरीट भी बाद में अन्यत्र पुनः काम में आ गयी । इस बाबत् स्थानीय पत्रिकाओं के माध्यम से अपने ही समाज बन्धुओं द्वारा दुष्प्रचार किया गया जिससे समाज में गलत संदेश गया व सहयोग राशि मिलने पर प्रभाव पड़ा ।
माह सितम्बर 2009 - राशि संग्रहण के प्रयास तेज
धर्मशाला निर्माण में तेजी लाने के उद्देश्य से पैसा संग्रहित करने हेतु इन्जि. राम निवास वैष्णव व गोपाल दास वैष्णव कादेड़ा की टीम ने बैंगलोर का टूर किया जहां से लगभग 30 लाख की घोषणाऐं हुई व 9.50 लाख रूपये रोकड़ प्राप्त हुए । महाराष्ट्र, पाली जिले व अन्य क्षेत्रों के अलावा बैंगलोर (कर्नाटक) से अच्छी व घर-घर से सहयोग राशि मिली । श्री जसराज जी महेन्द्र कुमार जी टूमकूर (बैंगलोर) ने रूपये 11,11,111/- रूपये व श्री भंवरलाल जी रामस्वरूप जी बीकोटा (आ.प्र.) ने रूपये 5,55,555/- की घोषणाएंे की ।
दिनांक 30 अक्टूबर 2009
ट्रस्ट प्रबन्ध कार्यकारिणी की मीटिंग अजमेर में इन्जि रामनिवास वैष्णव के एक्सईएन पी.एच.ई.डी. के पद से सेवानिवृति के दिन रखी गई इन्जिनियर साहब ने बैठक में घोषणा की कि सेवानिवृति पर आने वाली राशि में से 5 लाख रूपया बिना ब्याज के आवश्यकतानुसार धर्मशाला निर्माण हेतु दंेगे और घोषणानुसार कोषाध्यक्ष श्री प्रकाश चन्द जी निम्बावत थांवला को समय-समय आवश्यकानुसार राशि देते रहे |
दिनांक 25 अप्रेल 2010- वार्षिकोत्सव
दिनांक 25 अप्रेल 2010 को वार्षिकोत्सव के दौहरान धर्मशाला निर्माण की प्रगति व आय व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत किया गया। सभी ट्रस्टियों / सदस्यों व विशिष्ठ महानुभावों के साथ-साथ समाज की पत्रिकाओं के माध्यम से हमेशा की तरह निमन्त्रण भेजकर आम सभा का आयोजन किया गया । ट्रस्टी बनने व सहयोग के साथ-साथ कमरों की घोषणाएं भी हुई ।
दिनांक 24 अक्टूबर 2010
धर्मशाला निर्माण में 10 वर्ष उपरान्त भी राष्ट्र स्तर के प्रोग्राम, प्रचार-प्रसार व पत्रिकाओं के माध्यम से सहयोग हेतु निवेदन करते रहने के बावजूद भी दूसरी मंजिल का कार्य नहीं हो पा रहा था ऐसी स्थिति में दिनांक 18.07.2010 को कुचामन में हुई प्रबन्ध कार्यकारिणी की मीटिंग के लिये निर्णयानुसार धर्मशाला का स्वामित्व ट्रस्ट व समाज का होते हुए कोई भामाशाह सहायता करें तो उनका नाम धर्मशाला पर लिखा जाने का प्रस्ताव लिया गया । सभी ट्रस्टियों / सदस्यों / राष्ट्र के गणमान्य सज्जनों, राष्ट्र स्तर के पांचों वैष्णव समाज की संस्थाओं के अध्यक्षों को निमन्त्रण पत्र मय ऐजन्डा भेजा गया तथा समाज की सभी मासिक पत्रिकाओं में दिया गया । मीटिंग में तीन संस्थाओं के अध्यक्ष मौजूद थे । ट्रस्ट की जनरल बाॅडी मीटिंग में ऐजेन्डा अनुरूप प्रस्ताव रखा गया । सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ जिसमें श्री रामचन्द्र जी भयन्दर ने धर्मशाला का शेष कार्य इसी शर्त पर अपने परिवार की और से पूर्ण कराने की घोषणा की कि मेरे स्वर्गीय माता-पिता जी का नाम वैष्णव धर्मशाला पर लिखा जावेे । सदन की पूर्ण सहमति के बाद निर्माण कार्य जो 10 वर्ष से निर्माणाधीन था, को युद्वस्तर पर गति दी गई तथा 15 मई 2011 को उद्घाटन की तिथि तय की गई । इसी समय विकास परिषद के निवेदन पर सदन ने उद्घाटन /लोकार्पण समारोह का खर्च अपने स्तर पर करने की अनुमति सर्व सम्मति से दी । उस समय आयोजन के लिए खर्च हेतु लगभग1.75 लाख रूपये के सहयोग की घोषणा भी हुई ।
दिनांक 30 जनवरी 2011- उदघाटन की तैयारियों हेतु ट्रस्टियों की मिटिंग
दिनांक 30 जनवरी 2011 को पूर्व निर्धारित एजेन्डा अनुसार सभी संस्थापक ट्रस्टियों (एक लाख रूपये से अधिक राशि देने वाले) को पत्र देकर मीटिंग में बुलाया गया । सर्वसम्मति से कमरों पर अपने पूवजों की पुण्य स्मृति/ स्वयं द्वारा निर्माण की पट्टिका लगाने का प्रस्ताव पारित हुआ । उस दिन करीब 9 लाख रूपयों की सहयोग राशि भी प्राप्त हुई 13, 14 एवं 15 मई 2011 को होने वाले उद्घाटन कार्यक्रम का तानाबाना भी बुना गया ।
उद्घाटन के समय तक श्री जयकिशन जी देवमुरारी (सचिव) प्रकाश जी थांवला(कोषाध्यक्ष), बाबूलाल जी अग्रावत सावंतर, गोपालदास जी कादेड़ा, इन्जि एन.डी. वैष्णव, थानेदार टीकमचन्द जी माकड़वाली, इन्जि लक्ष्मीकान्त जी पीपावत ब्यावर का विशेष योगदान रहा है । समाज सेवा सर्वोपरि उद्देश्य अनुरूप संरक्षक एवं निर्माण कमेटी चेयरमेन श्री रामचन्द्र जी वैष्णव एवं अध्यक्ष श्री जयन्ती भाई वैष्णव द्वारा आज तक जितनी भी आम सभा, त्रेमासिक बैठक या अन्य निर्माणार्थ कार्य हेतु बुलाई गई बैठक हो, में अपने व्यवसाय को छोड़कर सहयोगियों के साथ उपस्थित रहे हैं । इनका धर्मशाला निर्माण कार्य में अकथनीय योगदान रहा है। ट्रस्ट प्रबन्धक कार्यकारिणी, निर्माण कमेटी तथा समाज के अन्य सेवाभावी सज्जनों द्वारा भवन निर्माण व व्यवस्था में योगदान दिया जाता रहा है । राष्ट्र के वैष्णव बन्धुओं द्वारा सप्रेम निर्मार्ण हेतु दी गई राशि का एक-एक रूपया जो सोने की मोहर तुल्य है, का सदुपयोग, कार्य की गुणवता, खर्च में बचत के मध्यनजर हिसाब-किताब सही तरीके से रखा जा रहा है ।
माह अपे्रल 2011
सी.ए. के एकाउन्ट ओडिट कराना व एकाउन्ट सुव्यवस्थित व सही रखने के कारण आयकर कमीश्नर साहब अजमेर ने 01.04.2011 से लगातार आगे के वर्षो के लिये 80 जी के लाभदेय का आदेश जारी किया है । धर्मशाला निर्माण हेतु ज्यादा से ज्यादा ट्रस्टी / सदस्य या यथा शक्ति सहयोग देकर अपने घर से धर्मशाला निर्माण में सहयोग कर पुण्य कमावें ।